ऐसा प्रायः देखा गया है कि इंग्लिश मीडियम में पढने वाला व्यक्ति कई बार ज्ञान और शिक्षा कि बातें करता है और लोगो को शिक्षाप्रद बातों के ज्ञान के बारे में बताता है तो उसकी यह गलत सोच होती है कि भारतीय संस्कृति के जितने विद्वान् हुए थे उनकी शिक्षा प्रद बाते अंग्रेजी विद्वानों से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है | मै यह नहीं कहता ही अंग्रजी विद्वान् कि शिक्षाप्रद बाते गलत होती है पर वे बातें भारतीय संस्कृति के परिवेश में कई बार लागु होगी यह जरुरी नहीं है क्योकि भारतीय ऋषियों और मुनियों ने जो ज्ञानप्रद बातें और शिक्षा प्रद और नीतिगत बातें लिखी है वे भारतीय परिवेश और भारतीय संस्कृति के देश काल के अनुसार लिखी है और उन बातों में आज भी उतनी ही गंभीरता और मर्म छुपा होता है जो आज कि देश काल परिस्तिथि के अनुकूल होती है | अगर उन बातों को प्रबंधन के नजरिये से देखा जाये तो आज के ज़माने मै वे शिक्षा प्रद बातें सटीक बैठती है ! हमारी संस्कृति के विद्वान् याग्वल्क्य , विदुर , चाणक्य , शुक्र , मनु , पराशर , नारद , वृहस्पति , कात्यायन , दक्ष , हारित, न जाने ऐसे ऐसे विद्वान् जिनकी सूचि प्रकाशित कि जाये तो विद्वानों के नाम कि खली किताब लिख दि जाएगी | जिनकी शिक्षाप्रद बातें बहुत ही महतवपूर्ण है | हमारी शिक्षा नीति कि भी यही कमी है कि हमारे धर्म निर्पेकेक्ष्ता कि बाते करने वाली सरकार भी उन्ही विदेशी विद्वानों कि लिखी बाते हमारे नए युग कि पीढ़ी को पढ़ाने कि कोशिश करके अपना धर्मनिरपेक्ष चेहरा सबके सामने रख रही है | इस विषय पर मेरे कई प्रश्न सरकार के उन विद्वानों से है जिनके द्वारा हमारी शिक्षा नीति बनायीं जा रही है १ - क्या हम अपने बच्चो को जिनको अंग्रेजी माध्यम से पढने वाले लडको को भारतीय इतिहास कि जानकारी में भारतीय संस्कृति से सम्बंधित इतिहास क्या इंग्लिश माध्यम से नहीं लिखा जा सकता है ?
२ - क्या भारतीय लोग वैदिक ज़माने कि परंपरा में डॉक्टर नहीं होते थे क्या और क्या वे सभी इंग्लिश माध्यम से पढ़ते थे ?
३ - क्या भारतीय लोगों ने वकालत कि पढाई इंग्लिश माध्यम से करते थे और क्या वे सभी न्यायप्रिय नहीं थे ?
४ - क्या भारतीय संस्कृति को पढने के लिए विदेशो से विद्यार्थी नहीं आते थे ?
५- क्या भारत कि तक्षशिला विश्वविद्यालय / नालंदा विश्वविद्यालय और न जाने कितनी विश्वविद्यालय जो विश्व कि सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय नहीं थी ?
६ - भारत के आध्यात्म लोगो के सम्पर्क में विदेशी लोग जो भारत के आध्यात्म कि जानकारी लेने के लिए नहीं आते है क्या ? और आते है तो उसके पीछे क्या कारण हो सकते है ?
७ - भारत के या अन्य देशो के लोगो को जितनी सुविधा और रिसर्च करने पर सरकारे जो लाखो रूपये खर्च करती है क्या भारत कि किसी भी सरकार ने कभी भारत के आयुर्वेद / ज्योतिष / पुराणो और वेदों पर रिसर्ष करने पर सरकार करती है क्या ? और भी कई विषय है उन पर आगे फिर लिखा जायेगा
पण्डित जितेंदर आचार्य "ज्योतिषाचार्य"